हिंदी भाषी मजदूरों पर संगठित हमलों का कोई पैटर्न नहीं था। कहीं पुराने वीडियो को संदर्भ हटाकर वायरल किया जा रहा था। कहीं निजी दुश्मनी में हुई हत्या को बिहारियों पर हमला करार दिया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल की जो कुछ भी तमिलनाडु में हुआ वो आखिर था क्या?
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